Friday, November 14, 2014

ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया।

Seetesh Azaad's blog...: चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया।: चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए ऐ नींद आज तेरे न आने का शु...

चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया।

चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया
जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए
ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया
सूखा पुराना जख्म नए को जगह मिली
स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया
आती न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ
दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया
आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया
नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया
अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया
गम मिलते हैं तो और निखरती है शायरी
यह बात है तो सारे जमाने का शुक्रिया
अब मुझको आ गए हैं मनाने के सब हुनर
यूँ मुझसे `कुँअर' रूठ के जाने का शुक्रिया

Saturday, September 6, 2014

"मेरी जिंदगी के कुछ अनुभव"

मेरी जिंदगी के कुछ अनुभव"
______
चाहता तो हूँ की
ये दुनिया बदल दूँ
पर इस ज़िन्दगी के
जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों
______________________
महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,
वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से कभी ना चला
_______________________
युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
पता नही था की, कीमत चेहरों की होती है
________________________
अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ??
और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???
________________________
दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'
______________________
पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता
________________________
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते
________________________
पहले मैं होशियार था,
इसलिए दुनिया बदलने चला था
आज मैं समझदार हूँ,
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ
_______________________
बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है
________________________
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना
_________________________
ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई एब नहीं है
पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है
_________________________
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने
न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले...

Seetesh Azaad's blog...: 3-CHIZE ZINDAGI Me1 Baar Milti hai

Seetesh Azaad's blog...: 3-CHIZE ZINDAGI Me1 Baar: Soch samjakar Padhana- 3-CHIZE ZINDAGI Me1 Baar Milti Hain- 1.MAA-BAP 2.WAQT 3.DOST 3-CHIZE SOCH-SAMAZ Kar Uthao- 1.KADAM 2.KASAM 3....

3-CHIZE ZINDAGI Me1 Baar

Soch samjakar Padhana-
3-CHIZE ZINDAGI Me1 Baar Milti Hain-
1.MAA-BAP
2.WAQT
3.DOST
3-CHIZE SOCH-SAMAZ Kar Uthao-
1.KADAM
2.KASAM
3.KALAM
3-CHIZE SOCH Kr KARO-
1.PYAR
2.BAAT
3.FAISALA
3-CHIZE Kisi Ka INTZAR Nhi Karti-
1.MOUT
2.WAQT
3.UMAR
3-CHIZE CHHOTI Na Samjho-
1.KARZ
2.FARZ
3.RISHTA
3-CHIZE Humesha DARD Deti H-
1.DHOKA
2.GARIBI
3.YAADE
3-CHIZO se Humesha Aap KHUSH Rahenge-
1.GOD
2.FAMILY And
3.Meri DOSTI

समय की महत्व।

1 साल कि कीमत : एक विद्यार्थी से पूछो जो फेल हुआ हो.
1 महीने की : एक माँ को पूछो जो समय से पहले बालक को जन्म दिया हो.
1 सप्ताह की : साप्ताहिक पत्रिका के संपादक से पूछो.
1 दिन की : उस मजदुर से पूछो जो आज काम पर नहीँ गया.
1 घण्टे की : यह प्रेमी से पूछो जो प्रेमिका को मिलने की राह देख रहा है.
1 मिनिट की : यह उस व्यक्ति से पूछो जिसकी ट्रेन चुक गई हो.
1 सेकण्ड की : यह उस व्यक्ति से पूछो जो एकसिडेन्ट से बाल बाल बचा है.
1 मीनी सेकण्ड : पूछो उस भक्त को जिसने भगवान का दर्शन किया.
मित्रो समय सबसे बलवान है. इसे फालतु मत जाने दो।

Friday, July 25, 2014

अपने दिल मेँ गीता और कुरान रखता हूँ ।

अपने दिल मेँ गीता
और कुरान रखता हूँ ।
किसी का दिल न दुखे
ईस बातका ध्यान रखता हूँ ।
मंदीर मस्जिद गुरुद्वारा
व चर्च के प्रति हृदय मेँ
खासा अदब,सम्मान रखता हूँ ।
इंसांन हूँ मैँ,
इंसानियत ही है मजहब मेरा ।
इश्क वास्ते हथेली पे,
मैँ अपनी जान रखता हूँ ।
दामन बचा कर चलना
मेरी फितरत है,
गंगा सा पवित्र अपना
गिरेबान रखता हूँ ।
चादर जितनी,
पसार लेता हूँ पैर उतने ।
मैँ कच्चे घर मेँ भी
नवाबी शान रखता हूँ ।
मत डालिये,
जात पात के झगड़ो मेँ,
मैँ दोस्तो मेँ कुछ सिंह
कुछ खान रखता हूँ ।
मिले सबको रोटी कपड़ा और मकान,
ख्वाबो मेँ ऐसा
एक हिंदुस्तान रखता हुं ।।